फाइलों में छटपटा रही मत्स्य विभाग की नीली क्रांति

बुलंदशहर । विदेशी मांगुर मछली के पालन और बिक्री पर एनजीटी द्वारा रोक लगाई गई है। जिला प्रशासन ने पालकों और विक्रेताओं के यहां छापामारी करने के लिए टास्क फोर्स का गठन कर दिया है। मत्स्य विभाग ने दो दर्जन से अधिक पालकों और विक्रेताओं को नोटिस भेजे थे। नोटिस भेजकर विभाग भूल गया और एनजीटी के आदेश हवाई हो गए। विदेश मांगुर की रोक ही नहीं पार्लर फिश और बाइक विद आइस जैसे नीली क्रांति की योजनाएं भी जनपद में धरातल पर नहीं उतरीं जल संपदा और मानव जीवन पर प्रतिकूल असर डालने वाली विदेशी हब्शी-थाई मांगुर मछली का पालन जिले के कई तालाबों में हो रहा है। एसडीएम, लेखपाल और मत्स्य विभाग की संयुक्त टीम तालाबों और विक्रेताओं के यहां छापामारी करेगा। प्रतिबंधित मछली के पालन करने वालों के खिलाफ धारा 270 के अंतर्गत मुकदमा कायम कराया जाएगा। साथ ही रिकवरी भी की जाएगी।जिले में 1050 तालाब हैं और 835.917 हैक्टेयर क्षेत्र में फैले हैं। इनमें से मछली पालन के लिए मत्स्य विभाग ने 605 तालाबों को मछली पालन के लिए आवंटित कर रखा है। जबकि 445 तालाबों पर विभाग का अधिकार ही नहीं है और न ही किसी ने इनमें मछली पालन को आवेदन किया। इन तालाबों पर मत्स्य पालन न होने से सरकार को प्रतिवर्ष लाखों रुपये के राजस्व की हानि होती है 2013-14 में सरकार ने मत्स्य विभाग की आमदनी बढ़ाने को प्रदेश भर में मोबाइल फिश पार्लर योजना जारी की थी। प्रदेश के अन्य जिलों में यह योजना संचालित है, लेकिन बुलंदशहर में इस योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। इसके लिए एक मोबाइल फिश पार्लर के लिए एक लाख 20 हजार रुपये का बजट विभाग को वापस करना पड़ा। इतना ही नहीं मोटर साइकिल विद हाता - - - - आइसबॉक्स योजना के अंतर्गत गांव-गांव मछली बेचने की योजना भी कारगर साबित नहीं हो रही। विभाग ने इसके लिए मात्र 17 आवेदन तो भेजे लेकिन शासन ने आज तक इन्हें स्वीकृत ही नहीं किया ।मत्स्य विभाग में तीन दिन पूर्व आठ कर्मचारियों का स्टाफ था। इनमें मुख्य कार्यकारी अधिकारी, फिल्ड अफसर, लिपिक और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की तैनाती है। दो दिन पूर्व एक फीशर मैन की बीमारी के चलते मौत हो गई ।जिले के 605 मत्स्य पालकों और मछली विक्रेताओं को नोटिस जारी कर दिए गए हैं। जल्द ही टीम छापामारी करेगी। प्रतिबंधित मछली की बिक्री पर रोक लगाना हमारा लक्ष्य है ।देसी मांगुर की आड़ में थाई मांगुर मछली मांसाहारी प्रवृति की होती है। इसके पालने से स्थानीय मछलियों को क्षति पहंचती है। इन मछलियों को सडागला मांस खिलाने से आसपास का वातावरण प्रदूषित होता है।